MP के इस टाईगर रिज़र्व में बाघो की जान को है कुत्तों से बड़ा खतरा बन चुका है. वैसे तो जंगल के अंदर बाघ का एक अलग दबदबा होता है। मध्य प्रदेश के जंगलों की बात करें तो जंगल में मौजूद जंगली हाथियों को अगर छोड़ दें तो इनके अलावा बाघ के सामने किसी की नहीं दाल गलती है। लेकिन कुत्तों से बाघों की ज्ञान को अगर खतरा हो जाए यह बात गले के नीचे नहीं उतरती है।
दरअसल मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में प्रबंधन ने लिया फैसला लिया है कि बाघों की सुरक्षा हेतु पार्क परिधि से लगे ग्रामों के कुत्तों का टीकाकरण किया जाएगा।कुत्तों में पाया जाने वाला कैनाइन डिस्टेंपर वायरस बाघ के नर्वस सिस्टम पर असर डालता है।पन्ना टाइगर रिज़र्व के बाघों की सुरक्षा हेतु जंगल से लगे 36 ग्रामों के 1100 से अधिक कुत्तों का टीकाकरण किया जायेगा
बाघो की सुरक्षा को लेकर मध्यप्रदेश के पन्ना टाईगर रिजर्व में स्वच्छन्द रूप से विचरण करने वाले बाघों की सुरक्षा हेतु नजदीकी ग्रामों के कुत्तों का टीकाकरण किया जा रहा है मामला यह है कि बाघों के कुत्तों से फैलने वाली वायरस जनित बीमारी के संक्रमण से बचाने के लिये किया जा रहा है। मालुम हो कि कैनाइन डिस्टेंपर ( Canine distemper ) वायरस कुत्तों में पाया जाता है। जंगल में विचरण करने वाले बाघ जब जंगल से निकलकर आसपास के आबादी वाले क्षेत्रों में जाकर कुत्तों को मारते हैं तो इस घातक बीमारी के संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। इस जानलेवा बीमारी का इलाज बेहद मुश्किल है, क्यों कि यह सीधे नर्वस सिस्टम पर असर डालता है।
आपको बता दे कि पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थापना योजना अंतर्गत बाघों की सुरक्षा के दृष्टिगत पार्क परिधि से लगे ग्रामों के कुत्तों में कैनाइन डिस्टैम्पर वायरस तथा अन्य सात बीमारियों की रोकथाम के लिए टीकाकरण कार्य प्रारंभ किया जा रहा है जिसमे पन्ना टाइगर रिज़र्व से लगे 36 ग्रामों में टीकाकरण किया जाएगा
अंजना त्रिकी क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिज़र्व ने बताया कि कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस पाया जाता है. जंगल में विचरण करने वाले बाघ जब जंगल से निकलकर आसपास के आबादी वाले क्षेत्रों में जाकर कुत्तों को मारते हैं तो इस घातक बीमारी के संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं. इस जानलेवा बीमारी का इलाज बेहद मुश्किल है. क्योंकि यह सीधे नर्वस सिस्टम पर असर डालता है।