उज्जैन 10 नवम्बर – उज्जैन गरोठ राष्ट्रीय राजमार्ग एक ऐसा मार्ग है जिस पर उज्जैन की जनता के लिए कोई कनेक्टिविटी नहीं है। यहां तक कि जिन किसानों की जमीने गई है उन्हें बाजार मूल्य का एक चौथाई मुआवजा भी नहीं मिला उल्टे उन्हें आने जाने में उन्हें भारी समस्याएं हैं। न केवल किसान बल्कि आसपास के कॉलोनी वालों एवं औद्योगिक क्षेत्र वालों को भी परेशानी है।
चकोर पार्क से करौंदिया एवं अन्य ग्राम के लिए बने डामर रोड की कनेक्टिविटी नहीं है। मयंक परिसर वालों के लिए जो अंडरपास बना है वह पर्याप्त ऊंचा नहीं है, वहां वर्षा ऋतु में पानी निकासी में वर्ष भर खेतों में पानी भरा रहा जिससे सोयाबीन की फसले खराब हुई है।सड़क के दोनों और सर्विस रोड नहीं मिलने पर श्री राम मंदिर जाने का रास्ते में कनेक्टिविटी नहीं है। मक्सी रेलवे ब्रिज के पश्चात किसानों को रेलवे अंडर पास से तराना रोड तक दोनों और खेतों तक पहुंचने के लिए कोई सर्विस रोड नहीं है। जिन किसानों की भूमि दोनों तरफ है उन्हें दूसरी ओर जाने के लिए भी कनेक्टिविटी नहीं है। आने वाले 50 साल तक उज्जैन इन समस्याओं से जुझता रहेगा। इन सभी समस्याओं को लेकर पंवासा, पांड्याखेड़ी, मयंक परिसर एवं उज्जैन नगर वासियों ने उज्जैन गरोठ रोड पर धरना देकर प्रदर्शन किया। करीब 2 घंटे की चर्चा के बाद राजमार्ग के अधिकारियों एवं ठेकेदार के आश्वासन के बाद जनता ने अल्टीमेटम दिया है कि वह राम मंदिर से लेकर चकोर पार्क करौंदिया रोड तक काम नहीं होने देंगे।
पूर्व आईएएस डॉ हीरालाल त्रिवेदी ने बताया कि उन्होंने इन समस्याओं के संबंध में राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों को कई पत्र लिखें परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने उज्जैन के सभी जनप्रतिनिधियों को भी पत्र लिखकर आगाह किया है परंतु उन्होंने भी अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया है। अत: आज पीड़ित किसानों एवं राजमार्ग के आसपास की कालोनी के पुरुषों एवं महिलाओं,किसानों ने धरना प्रदर्शन किया है एवं भविष्य में कार्य रोकने की चेतावनी दी है।
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता अजेंद्र त्रिवेदी, दीपक पवार, मानसीह अटल,भगीरथ गौड़, दीपक परिहार,गोपाल चावड़ा,अनूप अटल, लकी खटीक,राजाराम चौधरी,सोनू जाटव, विकास चौधरी तथा बड़ी संख्या में महिला पुरुष उपस्थित थे।