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बाँधवगढ़ में माँ की मौत के बाद जंगल मे माँ को ढूढने के लिए भटक रहा है हाथी शावक 

मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में मौजूद बाँधवगढ़ नेशनल पार्क जिसे बाँधवगढ़ टाईगर रिज़र्व के नाम से भी जाना जाता है,पूरे विश्व भर के वन्यजीव प्रेमियों के बीच सदैव चर्चा में बना रहता है।लेकिन इन दिनों ...

Kumar Narayanam

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बाँधवगढ़ में माँ की मौत के बाद जंगल मे माँ को ढूढने के लिए भटक रहा है हाथी शावक 

मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में मौजूद बाँधवगढ़ नेशनल पार्क जिसे बाँधवगढ़ टाईगर रिज़र्व के नाम से भी जाना जाता है,पूरे विश्व भर के वन्यजीव प्रेमियों के बीच सदैव चर्चा में बना रहता है।लेकिन इन दिनों बांधवगढ़ नेशनल पार्क क्षेत्र में हुआ 10 हाथियों की मौत ने बड़े सवालिया निशान खड़े कर दिए है। बताया जा रहा है कि जिस झुंड के 10 हाथियों की मौत 29,30 और 31 अक्टूबर को हुई है उसमें कुल 13 हाथी मौजूद थे।मरने वाले हाथियों में 9 मादा और एक नर हाथी बताया जा रहा है।झुंड के जिन 3 हाथियों की जान बची है उसमें से एक लगबग 5 से 6 वर्षीय हाथी ने उमरिया जिले में ही 2 लोगो को कुचल कर मौत के घाट उतारा था।

वही सोमवार की दोपहर लगभग 2.5 साल का हाथी शावक जो कि 29 अक्टूबर से ही चर्चा का विषय बन गया था।प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो सलखनिया गाँव के पास हाथियों के अचेत अवस्था मे जाने की सूचना जैसे ही प्रबंधन को मिली थी।उपलब्ध संसाधनों और स्टाफ के साथ घटनास्थल पर पहुँचे अमले ने जैसे ही एक मादा हाथी जो जमीन पर गिरने के बाद छटपटा रही थी,उसके पास पानी से भरा हुआ टैंकर खड़ाकर उसे पानी पिलाने का प्रयास किया जा रहा था,और डॉक्टरों की टीम ईलाज करने के लिए जैसे उस मादा हाथी की बड़ी उस मादा हाथी के पास खड़ा लगभग 2.5 साल का हाथी शावक जिसे लगा कि उसकी माँ की जान खतरे में है अपनी माँ को सुरक्षा प्रदान करने के लिए हाथी शावक ऑफेंसिव मॉड में आ गया और ईलाज के लिए उसकी माँ की ओर बढ़ रहे स्टाफ पर हमला कर दिया। शावक को अपनी ओर आता हुआ देख स्टाफ तितर बितर हो गया लेकिन इसी बीच रेंजर रमेश सिंह का पैर अचानक एक सूखी लकड़ी में फस गया और हाथी शावक ने उन पर हमला कर दिया।उक्त हमले से रेंजर रमेश सिंह को चोट आ गई।बातचीत के दौरान रेंजर रमेश सिंह ने बताया कि हाथी शावक को अचानक अपनी ओर आता देख मैंने भागने की कोशिश की लेकिन जंगल मे पड़ी हुई एक सूखी लकड़ी में फंसकर मैं गिर गया और हाथी शावक ने अपने पीछे पैर से जोरदार झटका मारा जिससे मेरे दाहिने पैर में मोच आ गई है।

प्रत्यक्षदर्शी बताते है कि माँ को अचेत अवस्था मे पाकर हाथी शावक बेचैन था,उसकी ऐसी हालात देखकर मौजूदा स्टाफ भी गमबीन हो गया था।उक्त हमला करने के बाद हाथी शावक जंगल की ओर चला गया था लेकिन सोमवार की अलसुबह जानकारी मिली कि अपने कुनबे और मां की तलाश में भटकता हुआ हाथी शावक चंदिया शहर के आसपास के क्षेत्र में पहुँच गया। चंदिया निवासी रामनारायण पयासी बताते हैं कि उक्त हाथी शावक को चंदिया से पहले बरम बाबा के पास शाम 5 बजे देखा गया है।उक्त हाथी शावक को देखकर एक ग्रामीण तो अपनी सायकिल छोड़कर अपनी जान बचाकर भगा।

आमतौर पर आपने देखा होगा कि हाथियों के झुंड में हाथी शावक को बीच मे रखा जाता है।ताकि उसकी सुरक्षा जंगल के अंदर अन्य वन्यजीवों से की जा सके।लेकिन एकाएक अपनी माँ और झुंड के अन्य साथियों का साथ छूटने के बाद हाथी शावक काफी दुखी है।

हाथी शावक हालांकि आमतौर पर 2 वर्ष की उम्र तक ही माँ का दूध पीता है लेकिन अचानक हुए इस घटनाक्रम में जंगल के अंदर अपने 13 हाथियों के परिवार को अचानक अपने आप से दूर हो जाने पर बचे हुए 3 हाथियों में यह हाथी शावक भी काफी विचलित हो गया है। इसके पहले जिस हाथी की आमद चंदिया क्षेत्र में हुई थी उसका वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि अपने कुनबे से बिछड़ने के बाद हाथी काफी विचलित है और सड़क में पैर।पटकता हुआ देखा गया है।

जिस झुंड के 10 हाथियों की मौत हुई है उसमें 9 मादा और एक नर हाथी बताया जा रहा है। बाकी बचे हुए एक नर हाथी जिसकी उम्र लगभग 5 वर्ष बताई जा रही है,उसका रेस्क्यू कर लिया गया है। वही हाथी शावक के रेस्क्यू के लिए भी प्रबंधन कमर कस चुका है। जल्द ही हाथी शावक भी प्रबंधन की देखरेख में विभागीय ट्रेनिंग प्राप्त कर जंगल के अंदर अपने  कुनबे की सुरक्षा में जीवन पर्यंत आने वाले समय मे प्रबंधन का सहयोग करेगा। लेकिन अभी तक 13वें हाथी की जानकारी सार्वजनिक नही हो पाई है।साथ ही उसकी लोकेशन की जानकारी प्रबंधन को है या नही इसका भी खुलासा नही हो पाया है।

हाथियों में आज भी मातृसत्तात्मक व्यवस्था के तहत झुंड का नेतृत्व झुंड की सबसे उम्रदराज मादा हाथी करती है। जिस हाथी के पास झुंड के नेतृत्व का दायित्व होता है वह ही अन्य सदस्यों के लिए तय करता है कि भोजन कहा करना है।किस दिशा में जाना है।अनावश्यक यात्रा किए बगैर ग्रुप के सदस्यों को संसाधन उपलब्ध करवाने का दायित्व मादा हाथी के ऊपर ही होता है।जिस कोदो के खेत मे झुंड के सदस्यों ने कोदो को खाया है इसे भी तय करने वाली वही मादा हाथी ही रही होगी।

झुंड में अधिकतर मादा हाथी ही होते है जो कि लीडर मादा हाथी के परिवार के सदस्य ही होते है।कोई लीडर मादा हाथी की बहन होती है तो कोई बच्ची तो कोई नजदीकी रिश्तेदार नर हाथी 15 साल की उम्र के बाद झुंड को छोड़ कर नर नर हाथियों के झुंड में शामिल हो जाते है। 

उक्त झुंड की दो मादा हाथी गर्भवती भी थी। जिसकी पुष्टि पोस्टमार्टम के दौरान हुई है।बाँधवगढ़ में हाथियों के कुनबे को बढाने वाले झुंड के 10 हाथियों की मौत और उसके बाद हाथी शावक का अपनी माँ के वियोग के बाद पूरे जंगल में भटकने का दृश्य वन्यजीव प्रेमियों के लिए काफी दुखद है।

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