लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी को छोड़कर की भाजपा का दामन थामने वाले रामनिवास रावत वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में रहते हुए जीत मिली थी। लेकिन रामनिवास रावत ने लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस छोड़कर के भाजपा का दामन थाम लिया था । भाजपा ने वन मंत्री बना दिया था,लेकिन रामनिवास रावत को कांग्रेस छोड़ना महंगा पड़ गया ।कुछ समय ही मंत्रीपद का सुख लेने के बाद में उन्हें विजयपुर में हुए उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार मुकेश मल्होत्रा के हाथों हार का सामना करना पड़ गया। प्रदेश के वन मंत्री रामनिवास रावत को कांग्रेस के उम्मीदवार मुकेश मल्होत्रा ने 6000 से अधिक वोटो से परास्त कर दिया।
प्रदेश की वन मंत्री रामनिवास रावत की करारी हार के बाद कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार के निवास पर जमकर पटाखे फोड़े गए और मिठाई खिलाकर खुशियां मनाई गईं। ग्वालियर के कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार का बड़ा बयान सामने आया है। उनका कहना है कि दगा किसी का सगा नहीं है न माने तो करके देख, विजयपुर से भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत ने जिस तरह से कांग्रेस पार्टी के मान सम्मान से गद्दारी की उसका सबक विजयपुर की जनता ने उन्हें सिखाया है।
वहीं उनका यह भी कहना है की जनता ने लोकतंत्र में विश्वास जताते हुए कांग्रेस को समर्थन दिया है। यदि प्रशासन पुलिस गुंडे और अपराधी उनके साथ नहीं होते तो रामनिवास रावत 50000 वोटों से हारते। बता दें कि कांग्रेस विधायक सती सिकरवार का पूरा परिवार विजयपुर चुनाव में जी जान से लगा था उनके भाई पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार भी उपचुनाव में पूरे समय डटे रहे।
10 हाथियो की मौत के पर सिर्फ ट्वीट
प्रदेश की वन मंत्री रहते हुए भी रामनिवास रावत ने अपने दायित्व का निर्वहन सही तरीके से नहीं किया। दरअसल वे उप चुनाव में लगे हुए थे इस दौरान बाँधवगढ़ टाईगर रिज़र्व में 29 अक्टूबर 2024 से 10 हाथियों की मौत का सिलसिला 31 अक्टूबर 2024 तक चला। लेकिन चुनाव में व्यस्त मंत्री जी ने सिर्फ ट्वीट करके अपने दायित्वों की इतिश्री कर ली थी। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई 10 साथियों की मौत ने पूरे देश भर की मीडिया की सुर्खियां बटोरी लेकिन मंत्री जी चुनाव में इतने व्यस्त थे कि इस मामले से किनारा करके सिर्फ अपने चुनाव में व्यस्त रहे।