सतना में आज जिला कलेक्टर निवास में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया, यह आयोजन कोरोना काल में जिन बच्चों के माता-पिता का निधन हुआ था, ऐसे सैकड़ो अनाथ बच्चों के साथ जिला कलेक्टर ने बाल रंग कार्यक्रम के तहत होली के त्यौहार को रंग गुलाल एवं खेलकूद की गतिविधियों सहित खान-पान के साथ यह पूरा कार्यक्रम मनाया, और मासूम बच्चे बेहद उत्साहित दिखे।
पूरे देश भर में कोरोना काल का दौर ऐसा था, जब हाहाकार पूरे देश में मचा हुआ था, ऐसे में लगातार लोगों की मृत्यु हो रही थी, और पलक झपकते ही लोग अपनों को खो रहे थे, उसे दौर ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था, किसी ने अपना भाई खोया तो किसी ने अपने माता-पिता, तो किसी ने अपने दादा-दादी, तो किसी ने अपने नाना नानी ऐसे तमाम रिश्ते हैं जहां लोगों ने अपनों को पल भर में जाते हुए पाया है, हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के सतना जिले की जहां पर सैकड़ो ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने कोरोना के दौर में अपने माता-पिता को खो दिया था और वह अनाथ हो चुके थे, ऐसे सैकड़ो बच्चों को जिला प्रशासन द्वारा राज्य शासन की पहल पर चिन्हित किया गया, और उनकी देखरेख सहित शिक्षा दीक्षा एवं जीवकोपार्जन की सुविधा को लेकर जिला प्रशासन ने जिम्मा उठाया था.
विगत 4 वर्षों से उन बच्चों की पूरी जीवन की गतिविधियां जिला प्रशासन के द्वारा संचालित कराई जा रही है, ऐसे में कोई भी सांस्कृतिक या धार्मिक आयोजन होता है तो इन बच्चों को उसे आयोजन में शामिल किया जाता है, ऐसा ही एक आयोजन जो भी का 4 वर्षों से जिला कलेक्टर के निवास में किया जा रहा है, जिसमें जिला कलेक्टर सहित जिला प्रशासन के अधिकारी कर्मचारी के समक्ष ऐसे सैकड़ो बच्चे जो अनाथ हो चुके हैं वह शामिल होते हैं जिनके साथ जिला कलेक्टर सहित अधिकारी कर्मचारी रंग गुलाल लगाकर होली का यह त्यौहार मनाया और इस दौरान बच्चों के साथ खेलकूद न चुकाने एवं खान-पान की व्यवस्था की गई, इस रंग गुलाल के कार्यक्रम में आप तस्वीरों को देख सकते हैं कि किस तरीके से जिला कलेक्टर मासूम बच्चों के चेहरे में रंग गुलाल लगा रहे हैं और इस दौरान बच्चे भी जिला कलेक्टर को रंग गुलाल लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं, और इस कार्यक्रम में मासूम बच्चे बेहद उत्साहित भी दिखे।
इस बारे में जिला कलेक्टर सतीश कुमार एस से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि आपको विदित है कि कोरोना के दौर में कई लोगों का जान गई थी, और ऐसे बच्चे जो अपने माता-पिता खो चुके थे, उनकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन ने उठाई है, ऐसे अनाथ बच्चों के लिए केंद्र और राज्य शासन सहित जिला प्रशासन के तहत कई योजनाओं का लाभ इन्हें दिया जा रहा है, ताकि वह बच्चे अपने जीवन में आगे बढ़ सके और ऊंचाइयों को छू सके, ऐसे सारे अवसर उन्हें दिए जा रहे हैं जो अपने माता-पिता से वह प्राप्त कर सकते हैं, यह जो परंपरा है विगत 4 वर्षों से चली आ रही है, उसे परंपरा को आगे बढ़ते हुए, इस अवसर पर अलग-अलग जगह से आए हुए बच्चों के साथ होली मनाई गई है, इस आयोजन का उद्देश्य शासन प्रशासन उनके साथ है यह मैसेज पहुंचने के लिए इस कार्यक्रम को किया गया है, यहां 100 से अधिक बच्चे शामिल हुए हैं, जहां उनके लिए खेलकूद, नाच गाने, एवं खानपान की पूरी व्यवस्था की गई है, यहां काफी छोटे बच्चे करीब 1 साल से लेकर बड़े बच्चे भी शामिल हुए हैं, और कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिनको स्पेशल नीड की आवश्यकता थी, और सभी बच्चों के साथ होली मनाई है, यह मेरे और मेरे परिवार के लिए भी एक अच्छा वातावरण और सुखद अवसर है।