मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल में डकैतों का खौफ खत्म हुए 15 साल से ज्यादा का वक्त गुजर गया है… बीहड़ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां फिल्में बन रही हैं। दूसरी ओर, रिकॉर्ड में पुलिस ने 1 साल में करीब 106 डकैत खड़े कर दिए हैं। इसकी वजह 1981 में लागू हुआ ‘एमपी डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम’ है। इसे डकैतों पर नियंत्रण के लिए बनाया गया था।
गोलियों की बरसात करते हुए… ये चंबल के डकैत है। जिनमें से कुछ जेल की सलाखों के पीछे है…. तो कुछ सजा काट कर बाहर आ चुके है। लेकिन इनके लिए साल 1981 में बनाई गयी…. 11/13 डकैती अधिनियम की धारा जिंदा है। जिसका असर ये है….. इस अधिनियम का उपयोग अब मोबाइल झपटने, अपहरण और बलवा जैसी घटनाओं में किया जा रहा है। कानून के जानकार ओर बुद्धिजीवी मानते है…. इस धारा को खत्म करना चाहिए।
यह अधिनियम 7 अक्टूबर 1981 को उन क्षेत्रों में लागू किया गया था, जहां 70-80 के दशक में डकैती, लूट व फिरौती के लिए अपहरण होते थे। अभी ग्वालियर जोन में यह ग्वालियर व शिवपुरी, चंबल जोन में भिंड, मुरैना, श्योपुर, दतिया व रीवा जोन में रीवा और सतना में यह लागू है। अधिनियम बीएनएस-2023 (IPC-1860) की धाराओं के साथ उपयोग हो रहा है। इस धारा में विशेष कोर्ट में जमानत नही होती इसलिए इस धारा का उपयोग किया जा रहा है। आईजी ग्वालियर कहते है…. जो धारा के तहत अपराध होते है, तभी इसकी उपयोग होता है।
- ग्वालियर-चंबल के दर्ज अपराधों की स्थिति।
- ग्वालियर में साल 2023 में 48 ओर साल 2024 में 35 मुकदमें दर्ज हुए
- शिवपुरी में साल 2023 में 34 ओर 2024 में 19 मुकदमें दर्ज हुए।
- मुरैना में साल 2024 में 12
- भिंड जिले में साल 2024 में 15
- दतिया में साल 2024 में 14
- श्योपुर में साल 2024 में 04 मुकदमें दर्ज हुए है।
इस धारा का दुरूउपयोग इससे भी समझा जा सकता है…. 11 दिसंबर 2023 को दिल्ली से ग्वालियर आ रहे पीके यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. रणजीत यादव को मुरैना में अटैक आया। एंबुलेंस न मिलने पर लॉ स्टूडेंट्स हिमांशु श्रोतिय व सुकृत शर्मा ने हाई कोर्ट जज की कार लेकर उन्हें अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उनके खिलाफ ग्वालियर के थाना पड़ाव में लूट और डकैती का केस दर्ज हुआ। तो वहीं डबरा के वकील चंद्रभान मीणा का ग्राम बेलगढ़ा में जमीन को लेकर केदार रावत से विवाद था.. जिसके बाद उन पर लूट व डकैती का केस दर्ज हो गया था।