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गूंगा बहरा नाश्ता भंडार :जहाँ 4 भाई हैं गूंगे कमियों को बना ली खूबी

ग्वालियर में एक अनोखा नाश्ता भंडार है, जहां स्वाद के साथ-साथ कहानी भी लाजवाब है। ‘गूंगा बहरा नाश्ता भंडार’ नाम की इस दुकान में काम करने वाले सभी लोग, संचालक को छोड़कर, बोल और सुन ...

Vikas Gupta

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ग्वालियर में एक अनोखा नाश्ता भंडार है, जहां स्वाद के साथ-साथ कहानी भी लाजवाब है। ‘गूंगा बहरा नाश्ता भंडार’ नाम की इस दुकान में काम करने वाले सभी लोग, संचालक को छोड़कर, बोल और सुन नहीं सकते। फिर भी, वे पूरी लगन और ईमानदारी से काम करते हैं। यह दुकान 15 साल पुरानी है और पांच परिवारों का सहारा है। यह दुकान इस बात का प्रमाण है कि अगर हौसला बुलंद हो तो कमियां भी खूबियां बन जाती हैं.

गूंगा बहरा नाश्ता भंडार’ के संचालन में सहयोग कर रहे सोनू वर्मा कहते हैं कि, ”इस दुकान का नाम इसीलिए ऐसा रखा क्योंकि यहां काम करने वाले लोग बोल या सुन नहीं पाते. वे आपस में साइन लैंग्वेज में बात करते हैं. लेकिन मेहनत में किसी से पीछे नहीं हैं.” उन्होंने बताया कि, ”उनका भाई नवीन वर्मा बचपन से बोल-सुन नहीं सकता था. स्कूल खत्म हुआ तो कोई रोजगार नहीं था. ऐसे में 15 साल पहले उसने अपने दोस्तों मनीष, अरुण, महेंद्र, धर्मेंद्र के साथ नाश्ते का स्टार्टअप शुरू किया था.”

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लिप्सिंग से समझते हैं ग्राहकों की बात

सोनू बताते हैं कि, नवीन और उसके दोस्तों ने सोनू को भी अपने साथ जोड़ा और अब वह साथ में रेहड़ी संभालता है. ग्राहक भी ऐसा हुजूम लगाते हैं कि संभाले नहीं संभालते. पांचों दोस्त अपने काम बांट कर करते हैं. कोई समोसे तैयार करता है तो कोई उन्हें तलता है. दुकान पूरा दिन चलती रहती है. जब सोनू दुकान पर नहीं होते तो पांचों दोस्त इसे संभालते हैं. ग्राहकों की बात लिप्सिंग यानि लोगों के होंठ पढ़कर समझ लेते हैं.”

मेहनत से मिली बरक्कत, किसी के आगे हाथ नहीं फैलाते

स्कूल से निकलकर समोसा, कचौरी, बेड़ई जैसी चीज सीखना इन मूक बधिर दोस्तों के लिए फायदेमंद रहा. क्योंकि अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने अपने व्यापार को सफल बनाया. आज पांचों दोस्तों की शादी हो चुकी, बच्चे भी हैं और इसी गूंगा बेहरा नाश्ता भंडार की बदौलत वे अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. ना किसी के आगे हाथ फैलाना है ना खर्च करने से पहले सोचना है. खुद की कमाई है जो महनत से कमाई है. नवीन और उसके दोस्तों ने ये बात साबित कर दी है कि, मेहनत करना जानते हो तो कमाने के लिए शब्दों का होना जरूरी नहीं है.

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