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भारतीय संविधान की हस्तलिखित मूल प्रति को देखने के लिए ग्वालियर में लगा तांता 

देश को संचालित करने वाले भारत के संविधान के बारे में तो हम सभी ने पढ़ा है और जानते हैं लेकिन जिस किताब में संविधान के नियमों तथा कर्तव्यों को लिखा गया है. उस किताब ...

Vikas Gupta

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भारतीय संविधान की हस्तलिखित मूल प्रति को देखने के लिए ग्वालियर में लगा तांता 

देश को संचालित करने वाले भारत के संविधान के बारे में तो हम सभी ने पढ़ा है और जानते हैं लेकिन जिस किताब में संविधान के नियमों तथा कर्तव्यों को लिखा गया है. उस किताब को बहुत कम लोगों ने देखा होगा। आपको बता दें संविधान की 16 मूल प्रतियों में से एक प्रति ग्वालियर के केंद्रीय पुस्तकालय में सुरक्षित रखी गई है, संविधान की इस प्रति को बहुत ही दुर्लभ माना जाता है. जिसके पीछे की कहानी को जानकर आप भी चौंक जाएंगे। 

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गौरतलब है 1950 में जब भारत का संविधान तैयार हुआ था, उस संविधान की मूल प्रति की एक कॉपी ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है, संविधान की इस प्रति में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। संविधान लागू होने के समय देशभर में कुल 16 मूल प्रतियां जारी की गई थीं, भारत सरकार ने एक मूल प्रति सिंधिया राजवंश को दी थी. ये वही कॉपी है।

इस मूल प्रति को वर्ष में तीन दिन ही आम जनता के दर्शनार्थ रखा जाता है।संविधान की यह मूल प्रति पूरी तरह से हस्तलिखित है. लाइब्रेरी प्रबंधक विवेक सोनी ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक इस किताब को छूकर व इसके पन्नों को पलट कर देखा जा सकता था. लेकिन संविधान की मूल प्रति को सुरक्षा कारणों के चलते अब इसे बड़ी स्क्रीन पर डिजिटल संस्करण में दिखाया जाता है। खास बात ये है कि कि इस किताब को लिखने के लिए जिस कागज का प्रयोग किया गया है, उसे 1000 वर्ष तक भी सुरक्षित रखा जा सकता है।

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