भाजपा स्लीपर सेल का आरोप और उमरिया कांग्रेस में घमासान

उमरिया जिले में हाल ही में घोषित हुए कांग्रेस जिला अध्यक्ष विजय कोल की नियुक्ति के बाद कांग्रेस के अंदरूनी ... .

भाजपा स्लीपर सेल का आरोप और उमरिया कांग्रेस में घमासान
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उमरिया जिले में हाल ही में घोषित हुए कांग्रेस जिला अध्यक्ष विजय कोल की नियुक्ति के बाद कांग्रेस के अंदरूनी हालात अस्थिर होते नजर आ रहे हैं। आदिवासी समुदाय के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय को कांग्रेस के मूल सिद्धांतों और राहुल गांधी द्वारा घोषित जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व सिद्धांत के खिलाफ बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्णय झारखंड से आए पर्यवेक्षक द्वारा स्थानीय स्तर पर की गई रायशुमारी के विपरीत है।

ज्ञात हो कि जिले में गोंड आदिवासी समुदाय की आबादी लगभग 50% है, जबकि कोल समुदाय की संख्या अपेक्षाकृत कम है। ऐसे में आदिवासी कार्यकर्ताओं का मानना है कि बहुसंख्यक गोंड या बैगा समाज से अध्यक्ष बनाना अधिक उचित होता। विजय कोल पर यह भी आरोप लगाया गया कि वे लंबे समय तक कांग्रेस विरोधी रहे हैं, यहां तक कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। इतना ही नहीं, वे आज तक कोई चुनाव नहीं जीत पाए हैं और जिले में उनकी सक्रियता भी सीमित रही है।

इन नाराज कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह नियुक्ति भाजपा के स्लीपर सेल की साजिश हो सकती है ताकि कांग्रेस का संगठन कमजोर किया जा सके और आदिवासी बहुल समाज को हाशिए पर धकेल दिया जाए। इससे कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक में विभाजन की आशंका जताई जा रही है।

सूत्रों के अनुसार, इस विरोध का स्वरूप व्यापक होता जा रहा है और कुछ स्थानीय नेता 20 अगस्त को सामूहिक इस्तीफा दे सकते हैं। वहीं, संगठन के उच्च स्तर पर इसे अनुशासनहीनता मानते हुए कार्रवाई की संभावना भी जताई जा रही है। सोशल मीडिया पर पर्यवेक्षक राजेश ठाकुर के खिलाफ की गई पोस्टों को लेकर भी AICC सतर्क हो गया है और इसकी जांच की जा रही है कि इसके पीछे कौन लोग हैं।

हालांकि, संगठन का एक वर्ग यह भी मानता है कि अगर विजय कोल निष्पक्षता और मेहनत से संगठन को मजबूत करते हैं तो आने वाले दो वर्षों में जब कोई चुनाव नहीं है वह खुद को साबित कर सकते हैं। संभव है कि वे कांग्रेस को नए नेतृत्व के रूप में उभार दें, जो लंबे समय से जिला राजनीति में ठहराव का शिकार रही है।

अब देखना यह है कि क्या विजय कोल संगठन को नई दिशा दे पाएंगे या यह नियुक्ति कांग्रेस के लिए एक और आत्मघाती कदम साबित होगी। फिलहाल, कांग्रेस के भीतर उठे विरोध के सुर पार्टी नेतृत्व के लिए एक बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं, जिनका समाधान जल्द निकालना जरूरी है, वरना भाजपा को इसका लाभ मिल सकता है।

Sanjay Vishwakarma

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