उमरिया। राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर अमहा रेलवे क्रॉसिंग के पास हुए सड़क हादसे में एक युवक की जान जागरूकता और समय पर मिली चिकित्सकीय मदद से बच गई। यह घटना उस सोच को भी उजागर करती है कि हादसे के बाद मौके पर मौजूद लोग अक्सर तमाशबीन बनकर रह जाते हैं, लेकिन यदि कोई साहस दिखाए और मदद के लिए हाथ बढ़ाए, तो किसी की जिंदगी बच सकती है।
ग्राम सकरवार निवासी लल्लू बैगा पिता भईया लाल बैगा शनिवार को अपनी बाइक से गांव लौट रहे थे। अमहा क्रॉसिंग के पास अचानक किसी अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। गंभीर रूप से घायल लल्लू सड़क पर तड़पते रहे। वहां से कई वाहन और लोग गुजरे, लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं रुका।
इसी बीच नौरोजाबाद निवासी शालिग्राम तिवारी उर्फ सोनू मौके से गुजरे। उन्होंने इंसानियत का परिचय देते हुए न केवल रुककर घायल को संभाला बल्कि तुरंत 108 एम्बुलेंस को कॉल किया। हादसे के बाद का वह समय बेहद संवेदनशील था और हर एक मिनट की देरी युवक की जान पर भारी पड़ सकती थी। सोनू ने घायल को अकेला नहीं छोड़ा और तब तक वहीं खड़े रहे जब तक एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंच गई।
सूचना मिलते ही जिला प्रबंधक सत्येंद्र वर्मा ने तुरंत एम्बुलेंस रवाना की। कुछ ही समय में टीम घटनास्थल पर पहुंची और प्राथमिक उपचार देने के बाद युवक को जिला चिकित्सालय उमरिया ले जाया गया। समय पर इलाज मिलने से लल्लू बैगा की जान बच गई। डॉक्टरों का कहना है कि यदि मदद में थोड़ी भी देर होती तो स्थिति गंभीर हो सकती थी।
घटना के बाद घायल युवक और उसके परिवार ने राहत की सांस ली। लल्लू बैगा ने कहा कि वे खुद को बेहद भाग्यशाली मानते हैं कि समय पर सही लोग मदद के लिए आगे आए। वहीं, उन्होंने ने भी शालिग्राम तिवारी उर्फ सोनू और 108 एम्बुलेंस टीम का आभार जताया।
108 एम्बुलेंस जिला प्रबंधक सत्येंद्र वर्मा ने अपील की कि सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को देखकर लोग तुरंत 108 पर कॉल करें। उन्होंने कहा कि कॉल करने वाले के खिलाफ किसी भी तरह की पुलिस कार्रवाई नहीं होती। बल्कि ऐसे लोग समाज के लिए प्रेरणा बनते हैं और उन्हें सम्मानित भी किया जाता है।
यह घटना न केवल इंसानियत का उदाहरण है बल्कि समाज के लिए एक संदेश भी है कि मुश्किल समय में किसी की मदद करना सबसे बड़ा पुण्य है। यदि हर कोई इसी सोच से आगे आए, तो सड़क हादसों में होने वाली कई अनचाही मौतों को टाला जा सकता है।