रक्षाबंधन के पावन अवसर पर जहां बहनें अपने भाइयों की कलाई पर प्रेम का धागा बांधती हैं और मिठाईयों से मुंह मीठा कराती हैं, वहीं उमरिया जिले में इस बार मिठास के पीछे कड़वाहट का खेल चलता रहा। बाज़ार में खोवे की बनी मिठाइयों की भारी मांग थी, लेकिन उसी मांग के साथ मिलावटखोरों का कारोबार भी चरम पर रहा। नकली और मिलावटी खोवे से बनी मिठाइयाँ खुलेआम बिकती रहीं, मगर प्रशासन और संबंधित विभाग मानो गहरी नींद में सोए रहे।
सबसे हैरानी की बात यह रही कि पूरे जिले में खाद्य निरीक्षक (फूड इंस्पेक्टर) मंजू वर्मा द्वारा एक भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई। ऐसा लगा जैसे जिले में सब कुछ रामराज्य की तरह “बढ़िया” चल रहा हो, जहां किसी प्रकार की समस्या ही नहीं है। मगर ज़मीनी हकीकत तो यह थी कि आम जनता अपनी और अपने बच्चों की सेहत को दांव पर लगाकर नकली मिठाई खाने को मजबूर थी।जिले में एक भी ऐसा स्पेसिफिक प्रकरण नही आया जिसमे कोई भी मिलावट की जानकारी सामने आए।
जब इस मामले पर फूड इंस्पेक्टर मंजू वर्मा से सवाल किया गया तो उनका जवाब और भी चौंकाने वाला था। उन्होंने साफ कहा कि जो भी कार्रवाई हुई है, उसकी जानकारी जिला जनसंपर्क अधिकारी (डीपीआरओ) उमरिया को भेज दी गई है। “आपको नहीं बता पाऊंगी” — इस एक वाक्य ने जैसे पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की।
इन विरोधाभासी बयानों से साफ है कि जिले में कहीं न कहीं साठगांठ का खेल चल रहा है। खाद्य विभाग और संभवतः अन्य जिम्मेदार अधिकारी आपसी समझौते से मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। जनता को भ्रमित करने और सच्चाई छिपाने की यह प्रवृत्ति न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है बल्कि कानूनी तौर पर भी गंभीर लापरवाही है।
मिलावटी मिठाई सिर्फ धोखाधड़ी नहीं, बल्कि यह लोगों की जान के साथ खिलवाड़ है। खोवे में मिलाया गया सिंथेटिक मैटेरियल और केमिकल स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं, जिससे फूड पॉइजनिंग, लीवर डैमेज, और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे में फूड इंस्पेक्टर का कार्रवाई न करना और जिला जनसंपर्क अधिकारी का “जानकारी न होना” दोनों ही गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
यह पूरा मामला इस ओर इशारा करता है कि जिले में खाद्य सुरक्षा को लेकर कोई ठोस निगरानी तंत्र काम नहीं कर रहा। त्योहार के नाम पर सिर्फ मिठाई की बिक्री बढ़ी, लेकिन गुणवत्ता की जांच और नकली उत्पादों पर रोक लगाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से नदारद रही।
कई व्यापारियों ने नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर यह भी बताया की इस दौरे को औचक निरीक्षण न बोल कर औचक… बोला जाए तो कमतर नही होगा।
त्योहार से पहले उमरिया में मिठाईयों की मिलावट पकड़ने निकली खाद्य सुरक्षा अधिकारी की प्रेस रिलीज पढ़कर लगता है मानो पूरा मिशन “स्वाद यात्रा” था। दुकानों से कलाकंद, पेड़ा, बर्फी, नमकीन के सैंपल तो भरपूर लिए गए, पर असली कार्रवाई का स्वाद नदारद रहा। जनता को नकली चांदी की परत और रबर जैसे पनीर पहचानने की नसीहत देकर जिम्मेदारी पूरी कर ली गई, मानो मिलावटखोरों से निपटना जनता का ही काम हो। सैंपल भोपाल भेजे जाने की बात ने तो जैसे समय सीमा को त्योहार के बाद तक खींच दिया, ताकि मिठाई बिक जाए और मामला भी ठंडा हो जाए।
आखिर में, यह सिर्फ एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि जनता के विश्वास का खुला विश्वासघात है। अगर जिम्मेदार अधिकारी और विभाग ऐसे ही आंख मूंदकर बैठे रहेंगे, तो आने वाले त्योहारों में मिलावटखोरों के हौसले और बुलंद होंगे, और जनता के स्वास्थ्य पर खतरा और गहरा जाएगा। अब वक्त है कि इस साठगांठ के खेल पर पर्दाफाश हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए—वरना रामराज्य की जगह मिलावटराज का राज चलता रहेगा।