मीटिंग में खुला पिटारा विभागाध्यक्ष का उतरा रंग

जिले के एक विभागाध्यक्ष इन दिनों रात में नींद को ऐसे खोज रहे हैं, जैसे सरकारी फाइल में सच्चाई खोजी ... .

---Advertisement---

जिले के एक विभागाध्यक्ष इन दिनों रात में नींद को ऐसे खोज रहे हैं, जैसे सरकारी फाइल में सच्चाई खोजी जाती है मिलती ही नहीं। वजह साफ है। हाल ही में हुई एक बड़ी मीटिंग में प्रदेश स्तर के अफसरों ने उनके विभागीय भ्रष्टाचार का पुलिंदा खोलकर सबके सामने रख दिया।

कहानी कुछ यूं है कि साहब ने आंकड़े ऐसे बढ़ाए जैसे सब्जीवाले आलू का वज़न बढ़ाते हैं और फिर उसी हिसाब से प्रदेश से मोटा फंड खींच लिया। बात यहीं तक रहती तो शायद मामला रफादफा हो जाता, लेकिन दिक्कत ये है कि ऐसे करतब दिखाने वाले अकेले ये नहीं हैं। प्रदेश में कई अफसरों ने यही खेल खेला है। अब अगर एक साथ कार्रवाई हो गई, तो विपक्ष को मुफ्त का मुद्दा मिल जाएगा और फिर वे विधानसभा से लेकर चौपाल तक सरकार को पानी-पानी कर देंगे।

इसी आस में साहब को भरोसा है कि राजधानी वाले भाईसाब इस डूबते जहाज़ में तैरने के लिए लाइफ जैकेट डाल देंगे। हालांकि, मन के किसी कोने में यह डर भी कुलबुलाता है कि मोहन सरकार जब अपने विधायकों को बख्शने के मूड में नहीं होती तो भला एक विभागाध्यक्ष की क्या हैसियत ?

रात में बिस्तर पर लेटते हुए साहब अपने कारनामों की लिस्ट दोहराते हैं, फिर अचानक करवट बदलते हैं और सोचते है कहीं ऐसा न हो कि एक झटके में दोनों कुर्सियां खिसक जाएं। फिलहाल तो तकिया ही उनका राज़दार है, लेकिन तकिया भी सोच रहा होगा, “साहब, अगर इतना ही डर था तो हाथ इतने लंबे क्यों किए?”

Sanjay Vishwakarma

"खबर वह है जिसे कोई दबाना चाहे, बाकी सब विज्ञापन है।" आम आदमी की आवाज़ को ताक़त देना ही हमारा उद्देश्य है। अगर आपके आसपास भ्रष्टाचार, अपराध, शोषण या कोई अन्य महत्वपूर्ण घटना हो रही है, तो हमें तुरंत कॉल करें या वीडियो/फोटो भेजें। हमारा नंबर है 09425184353। आपकी पहचान और नाम पूरी तरह गोपनीय रखे जाएंगे। आपकी दी गई सूचना बदलाव की शुरुआत बन सकती है।

Follow Us On