नवरात्रि का हर दिन देवी दुर्गा के किसी एक स्वरूप को समर्पित होता है। छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा के लिए माना जाता है। यह दिन भक्तों के लिए बेहद खास होता है, क्योंकि मां कात्यायनी का स्वरूप साहस, आत्मविश्वास और विजय का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो साधक श्रद्धा और नियम से इस दिन मां की पूजा करता है, उसे भय, रोग और शोक से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सुख, सौभाग्य और नई ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए नवरात्रि का यह दिन साधकों और भक्तों दोनों के लिए बहुत महत्व रखता है।
मां कात्यायनी के स्वरूप का वर्णन शास्त्रों में सुनहरे तेज से किया गया है। उनके चार हाथ बताए गए हैं, जिनमें एक में तलवार, एक में कमल और बाकी दो हाथ वरमुद्रा तथा अभयमुद्रा में रहते हैं। मां की सवारी सिंह है, जो शक्ति और पराक्रम का प्रतीक है। कहा जाता है कि मां के दर्शन मात्र से साधक के मन में आत्मविश्वास और साहस का भाव जाग्रत होता है। यह भी माना जाता है कि मां की कृपा से साधक को विद्या, धर्म और आध्यात्मिक प्रगति की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के छठे दिन पूजा की शुरुआत सूर्योदय से पहले स्नान और ध्यान से करनी चाहिए। साफ-सुथरे कपड़े पहनकर पूजा स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करें। ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाकर मां कात्यायनी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद जल छिड़ककर स्थान को पवित्र करें। मां को पीले वस्त्र, पीले फूल और पीली मिठाई अर्पित करना शुभ माना गया है, क्योंकि यह रंग देवी को अत्यंत प्रिय है। पूजा के दौरान धूप-दीप, रोली, अक्षत और फल चढ़ाकर माता का ध्यान करें।
मां कात्यायनी की पूजा के समय मंत्रों का जाप विशेष महत्व रखता है। सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है—“ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।” इसके अलावा उनका वंदना मंत्र भी प्रचलित है“कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः॥” इन मंत्रों का जप करने से साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और मनोकामनाएँ पूरी होने की मान्यता है। पूजा के अंत में मां की आरती करना और उसके बाद प्रसाद सभी में बाँटना आवश्यक माना जाता है।
छठे दिन मां को भोग के रूप में पीली मिठाई या पीले फल अर्पित करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि इससे साधक के जीवन में खुशहाली आती है। खासतौर पर जिनके विवाह में अड़चनें आ रही हों, उनके लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि इस दिन मां कात्यायनी की पूजा में खड़ी हल्दी और पीले पुष्प चढ़ाए जाएँ तो विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं और योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
इस प्रकार नवरात्रि का छठा दिन केवल परंपरा भर नहीं है, बल्कि यह दिन भक्तों को यह याद दिलाता है कि श्रद्धा और समर्पण से हर कठिनाई को दूर किया जा सकता है। मां कात्यायनी की आराधना से जीवन में साहस, आत्मबल और सकारात्मक सोच का विकास होता है। यही कारण है कि साधक पूरे मन और विश्वास के साथ इस दिन माता की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में नई राह पाते हैं।